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लेखनी प्रतियोगिता -18-Feb-2024 "चंदा मामा"

          "चंदा मामा"

तू भी कितना अजब है चांद रोज बदलता अपना आकर। 
कभी खुशी से फूल तू जाता कभी ग़मों से तिनका- तिनका घटता जाता।। 

होती चांदनी तुझसे आबाद फ़िर भी नहीं है वो तेरे पास।
गमों को तू ऐसे झूठलाता तारो संग मिलकर जश्न मनाता।। 

अमावस्या तुझको खा जाती तेरा रूप चुरा ले जाती। 
पर चांद कहां हार मानता भेद अँधेरा फ़िर चमकने आ जाता।।

चंदा मामा तू कहलाता नूर सभी के दिलों पर छाता।
तुझ सी महबूबा मिल जाए ऐसा हर कोई दिल में अरमान सजाता।। 

मधु गुप्ता "अपराजिता"



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11 Comments

Gunjan Kamal

20-Feb-2024 02:40 PM

👌🏻👏🏻

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Mohammed urooj khan

19-Feb-2024 11:42 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Thank u so much

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बेहतरीन

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बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

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